यादें

धुएं सा ये वक़्त ऊड़ एक पल में जाता है
बीता हुआ हर लम्हा ख्वाबो में अक्सर मिलने आता है
जो भी चाहा था इस दिल ने उसे पूरा तो कर लिया है
इस भागती दोड़ती ज़िन्दगी में अधुरा ही पर जिया है
शोरगुल,मौज मस्ती हालाँकि अब भी यहाँ रोज़ का है
पर दिल तो फ़ुरसत के दो पल हमेशा खोजता है
प्यार के वो पल काश फिर से कोई लौटा दे
बारिश में झुला झूलने का फिर से कोई मौका दे
इतनी भीड़ के बीच भी बस माँ के हाथो की नरमी याद आती है
AC में बैठे बैठे हमेशा वो छुट्टियों की गर्मी याद आती है
माना की बीता वक़्त कभी लौट कर आता नहीं है
पर ये भी सच है की दिल की हसरत बस यही है |

Comments

Popular posts from this blog

साहस

For my Bhaiya:"On the auspicious ocassion of Rakhi"