For all my friends and juniors....for everyone who is missing his/her loved ones
This is for all my dear friends and dear juniors who are feeling bad because of the absence of their seniors,for everyone who is shedding tears at this moment of biding adieu to each other :
दुनिया कुछ और नहीं एक बड़ा घर समझ लो
किरायदार बदलते रहते हैं ,मकानमालिक कभी बदलता नहीं
अलगाव भी ज़रूरी है की दुनिया का दस्तूर है यही
बिछोह नहीं ये मन का ,बस एक कमरे से निकल कर दुसरे कमरे में जाना है
कल तक जो मेरा था ,आज वो तुम्हारा है और कल वही किसी और का हो जाना है
गर दीवारे गिरा भी दी तुमने ,पर आँगन तो हमेशा उतना ही है
हंसी ख़ुशी से बिता दो ये वक़्त की ये साथ आखिर कितना ही है
अन्दर से चाहे जितने अलग हो पर सब कमरों की छतें तो मिलती ही हैं
बगिया सब की अपनी अपनी है पर हर चमन में कली एक प्यार की खिलती ही है
की दुनिया कुछ और नहीं एक बड़ा घर समझ लो
कमरा बदलने का दुःख न मनाओ की ठिकाना तो हमेशा यही रहेगा
जीवन कोई मंजिल नहीं ये तो एक सफर है जो चलता ही रहेगा
कल तक हम अनजान थे आज इन दीवारों में हमारी हंसी गूंजती है और कल फिर इस बड़े से घर में कही खो जायेंगे
पर जुदाई पर अश्क न बहाओ की अब हम अनजान नहीं है जो परसों किसी और चारदीवारी में मिले तो तुम्हे ज़रूर पहचान जायेंगे
की दुनिया कुछ और नहीं एक बड़ा घर समझ लो
जो मेरा भी हे तुम्हारा भी हे इसीलिए इसे हमारा समझ लो
We all will meet again,so dont cry...life goes in circles...we meet to depart,we depart to meet.... PHIR MILENGE
दुनिया कुछ और नहीं एक बड़ा घर समझ लो
किरायदार बदलते रहते हैं ,मकानमालिक कभी बदलता नहीं
अलगाव भी ज़रूरी है की दुनिया का दस्तूर है यही
बिछोह नहीं ये मन का ,बस एक कमरे से निकल कर दुसरे कमरे में जाना है
कल तक जो मेरा था ,आज वो तुम्हारा है और कल वही किसी और का हो जाना है
गर दीवारे गिरा भी दी तुमने ,पर आँगन तो हमेशा उतना ही है
हंसी ख़ुशी से बिता दो ये वक़्त की ये साथ आखिर कितना ही है
अन्दर से चाहे जितने अलग हो पर सब कमरों की छतें तो मिलती ही हैं
बगिया सब की अपनी अपनी है पर हर चमन में कली एक प्यार की खिलती ही है
की दुनिया कुछ और नहीं एक बड़ा घर समझ लो
कमरा बदलने का दुःख न मनाओ की ठिकाना तो हमेशा यही रहेगा
जीवन कोई मंजिल नहीं ये तो एक सफर है जो चलता ही रहेगा
कल तक हम अनजान थे आज इन दीवारों में हमारी हंसी गूंजती है और कल फिर इस बड़े से घर में कही खो जायेंगे
पर जुदाई पर अश्क न बहाओ की अब हम अनजान नहीं है जो परसों किसी और चारदीवारी में मिले तो तुम्हे ज़रूर पहचान जायेंगे
की दुनिया कुछ और नहीं एक बड़ा घर समझ लो
जो मेरा भी हे तुम्हारा भी हे इसीलिए इसे हमारा समझ लो
We all will meet again,so dont cry...life goes in circles...we meet to depart,we depart to meet.... PHIR MILENGE
Hey Ankita,
ReplyDeletenice poem..this poem is really going to help me to look for the future wid feeling to meet
my college n school friends somewhere in the long journey of this life..
hi boss..
ReplyDeletedis poem shows d reality bt its vry difficult to accept..........hw cn we forget u all..........we'll alwz miss u all......
hey ankita
ReplyDeletereally very nice poem
I just hope so ki hum phi mile
priya
thats very true dear....
ReplyDeletebt as u said parting is law of life
so v hv to...
bt hope we'll meet in IBM
hai na
tab tere ko khoob pareshan karoongi
yeah, one yr back we had departed.... n see its time for a small reunion ... wait till u join the IT geek gang in Bang !! :)
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